जैसा कि गुरुवर्य वैद्य अभिजीत सराफ जी ने कहा, TANTRAYUKTI यह विषय पिछले सौ साल से आयुर्वेद में पढ़ाना जैसे बंद ही हो गया है।
आचार्य चरक, सुश्रुत जी के काल में तंत्रयुक्ति यह सभी विद्यार्थियों को पहले से ही ज्ञात था, इसीलिए तंत्रयुक्तियों का उल्लेख संहिता के अंतिम अध्याय में होता है?
क्या इनका ज्ञान हमे है? जितना है, उतना काफी है?
शतकों में एक बार होने वाले ऐसे संभाषा में सहभाग ले और एक सुवर्ण इतिहास का साक्षी बनिए।
कदाचित अपने जीवनकाल में पुनः तंत्रयुक्ति सिखने का अवसर न मिले!
आज अंतिम अवसर है, आज ही आप को निर्णय लेना है, क्या आप १३+ गुरुजनों से अमृत प्राशन कर स्वयं में अमृतत्व लाना चाहते है? तंत्रयुक्ति समझ कर संहिता के नए आयाम को अनुभव करना चाहते है?
यही अंतिम घड़ी है, क्यों की पहला व्याख्यान कल शाम ४ बजे है। उस के बाद Registration बंद हो जाएंगे।
इस विषय में आप की कोई आर्थिक या वैयक्तिक समस्या है, तो हमे तत्काल संपर्क करे, क्यों की प्रत्येक वैद्य को, हर एक विद्यार्थी को तंत्रयुक्ति का ज्ञान हो, यह हमारी लालसा है।
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